नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकालों में मंत्री रहीं स्मृति इरानी ने खुद को घमंडी कहे जाने के आरोपों पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि लोग महिलाओं के बारे में ज्यादा बोलते हैं कि वे घमंडी होती हैं। उन्होंने कहा,’यदि आप बोल दें कि आप सीधे खड़े रहें तो कह देंगे कि घमंडी हैं। कोई रात को 12-1 बजे फोन करे तो ऐसा कह देंगे। आपको कहा जाएगा कि पार्टी में आएं और कह दें कि मैं पार्टी में नहीं जाती तो भी घमंडी कह दिया जाएगा।’ स्मृति इरानी ने कहा कि मैं तो कभी पार्टियों में जाने में ज्यादा रुचि नहीं लेती थी। मैं जब इंडस्ट्री में थी, तब भी मेरा बर्ताव और व्यवहार ऐसा ही था। यह कोई घमंड नहीं है बल्कि मेरा अनुशासन है।
उन्होंने एक पॉडकास्ट में बोलते हुए कई साल पुराना एक वाकया भी बताया, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता ने उन पर टिप्पणी की थी। स्मृति इरानी ने कहा,’मै नाम नहीं लूंगी। लेकिन यूपीए के कार्यकाल में जब मैं सांसद थी तो उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी साहब के घर में एक पुस्तक विमोचन में गई थी। मैं उपराष्ट्रपति जी की बेटी के साथ खड़ी थी। इसी दौरान कांग्रेस के एक कद्दावर नेता आए, जो एक जमाने में विदेश मंत्री थे। अब तो निधन हो चुका है। उन्होंने कहा कि आप जैसी चीजों को हक नहीं कि अपना वजन बढ़ा लें। इस पर मैंने कहा कि आप जैसे लोग न देखें, इसलिए वजन बढ़ाया जाता है।’
अब अगर इस तरह से स्पष्ट बोल दिया जाए तो भी कुछ लोग आपको घमंडी कह देंगे। इरानी ने कहा कि यदि आपका एक अनुशासन है तो लोग ऐसी बात करेंगे। मैं जब इंडस्ट्री में थी, तब भी ऐसा कहा जाता था। मैं पार्टियों में नहीं जाती थी, लेकिन अच्छा खासा करियर बिना पार्टियों में गए ही मिला। मैंने 22 प्रोजेक्ट ऐक्टर के तौर पर किए, लेकिन कभी पार्टियों में जाकर तो काम नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यदि अनुशासन नहीं होता तो नरेंद्र मोदी जी देश के लिए इतना काम नहीं कर पाते। उन्हें खुद चाटुकारों से बहुत नफरत है। कोई उनकी शान में दो कसीदे फालतू पढ़ दे तो वह नमस्ते करके उठ जाएंगे। उनकी जो छवि बनाई गई है, वह सही नहीं है।
इरानी ने कहा कि मैंने 10 सालों तक मंत्रालय चलाया, लेकिन कभी कोई परेशानी नहीं हुई। मैं जब शिक्षा मंत्री थी तो पीएम नरेंद्र मोदी का यही मंतव्य था कि सबसे बात करो। वह सभी की बात सुनते हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी से कोई भी मिलता है तो उससे यही कहते हैं कि जो भी सच है, वही कहिए। पूरी बात कहने का वह सभी को मौका देते हैं। उसके बाद ही अपना सुझाव देते हैं। उनका ही सुझाव था कि नई शिक्षा नीति के लिए सबसे बात की जाए। फिर हमने कम्युनिस्ट, कांग्रेस से लेकर सभी लोगों से बात की।
कांग्रेस के दिग्गज नेता ने किया था कॉमेंट- आप जैसी चीजों को हक नहीं कि अपना वजन बढ़ा लें, स्मृति ईरानी का दावा
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकालों में मंत्री रहीं स्मृति इरानी ने खुद को घमंडी कहे जाने के आरोपों पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि लोग महिलाओं के बारे में ज्यादा बोलते हैं कि वे घमंडी होती हैं। उन्होंने कहा,’यदि आप बोल दें कि आप सीधे खड़े रहें तो कह देंगे कि घमंडी हैं। कोई रात को 12-1 बजे फोन करे तो ऐसा कह देंगे। आपको कहा जाएगा कि पार्टी में आएं और कह दें कि मैं पार्टी में नहीं जाती तो भी घमंडी कह दिया जाएगा।’ स्मृति इरानी ने कहा कि मैं तो कभी पार्टियों में जाने में ज्यादा रुचि नहीं लेती थी। मैं जब इंडस्ट्री में थी, तब भी मेरा बर्ताव और व्यवहार ऐसा ही था। यह कोई घमंड नहीं है बल्कि मेरा अनुशासन है।
उन्होंने एक पॉडकास्ट में बोलते हुए कई साल पुराना एक वाकया भी बताया, जब कांग्रेस के दिग्गज नेता ने उन पर टिप्पणी की थी। स्मृति इरानी ने कहा,’मै नाम नहीं लूंगी। लेकिन यूपीए के कार्यकाल में जब मैं सांसद थी तो उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी साहब के घर में एक पुस्तक विमोचन में गई थी। मैं उपराष्ट्रपति जी की बेटी के साथ खड़ी थी। इसी दौरान कांग्रेस के एक कद्दावर नेता आए, जो एक जमाने में विदेश मंत्री थे। अब तो निधन हो चुका है। उन्होंने कहा कि आप जैसी चीजों को हक नहीं कि अपना वजन बढ़ा लें। इस पर मैंने कहा कि आप जैसे लोग न देखें, इसलिए वजन बढ़ाया जाता है।’
अब अगर इस तरह से स्पष्ट बोल दिया जाए तो भी कुछ लोग आपको घमंडी कह देंगे। इरानी ने कहा कि यदि आपका एक अनुशासन है तो लोग ऐसी बात करेंगे। मैं जब इंडस्ट्री में थी, तब भी ऐसा कहा जाता था। मैं पार्टियों में नहीं जाती थी, लेकिन अच्छा खासा करियर बिना पार्टियों में गए ही मिला। मैंने 22 प्रोजेक्ट ऐक्टर के तौर पर किए, लेकिन कभी पार्टियों में जाकर तो काम नहीं मिला। उन्होंने कहा कि यदि अनुशासन नहीं होता तो नरेंद्र मोदी जी देश के लिए इतना काम नहीं कर पाते। उन्हें खुद चाटुकारों से बहुत नफरत है। कोई उनकी शान में दो कसीदे फालतू पढ़ दे तो वह नमस्ते करके उठ जाएंगे। उनकी जो छवि बनाई गई है, वह सही नहीं है।
इरानी ने कहा कि मैंने 10 सालों तक मंत्रालय चलाया, लेकिन कभी कोई परेशानी नहीं हुई। मैं जब शिक्षा मंत्री थी तो पीएम नरेंद्र मोदी का यही मंतव्य था कि सबसे बात करो। वह सभी की बात सुनते हैं। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी से कोई भी मिलता है तो उससे यही कहते हैं कि जो भी सच है, वही कहिए। पूरी बात कहने का वह सभी को मौका देते हैं। उसके बाद ही अपना सुझाव देते हैं। उनका ही सुझाव था कि नई शिक्षा नीति के लिए सबसे बात की जाए। फिर हमने कम्युनिस्ट, कांग्रेस से लेकर सभी लोगों से बात की।
NEWS SOURCE Credit : livehindustan
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