Supreme Court Hearing On Delhi-NCR Air pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सोमवार को भी वायु प्रदूषण पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को फटकार लगाई है। साथ ही साथ पूछा है प्रतिबंध लगाने में इतनी देरी क्यों हुई है?
इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोई धर्म प्रदूषण बढ़ाने को प्रोत्साहन नहीं देता है। अगर पटाखे (firecrackers) जलाए जाते हैं तो स्वच्छ हवा नहीं रहती, जो अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर 25 नवंबर तक निजी तौर पर यह हलफनामा देने का निर्देश देते कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखा जाए। हम सभी एनसीआर राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे हमारे सामने आएं और प्रदूषण को न्यूनतम रखने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में हमें सूचित करें।
SC ने पूछा, पटाखों पर बैन केवल दिवाली में ही क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस पर नाराजगी जताई। जस्टिस ओका ने कहा कि अपने हितधारकों को हमारे पास आने दें। अगर कोई अनुच्छेद 21 के तहत पटाखे जलाने के अधिकार का दावा कर रहा है, तो उन्हें हमारे पास आने दें। जस्टिस ओका ने कहा कि सिर्फ दिवाली तक ही सीमित क्यों? पहले से सचेत क्यों नहीं होते। केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार दशहरे के ठीक दो दिन बाद 14 अक्टूबर को निर्देश जारी करती है. उससे पहले कुछ नहीं किया गया।
विशेष सेल बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विशेष सेल बनाने का निर्देश देते हैं। हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने प्रतिबंध लगाने में 14 अक्टूबर तक की देरी क्यों की? संभव है कि यूजर्स को उससे पहले ही पटाखों का स्टॉक मिल गया होगा। अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार है। प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता जो प्रदूषण को बढ़ावा देती हो या लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करती हो।
बैन को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए
सुनवाई की शुरुआत करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार की ओर से कोर्ट में कौन पेश होता है? हमें पटाखों पर प्रतिबंध का आदेश और इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए उठाए गए कदम दिखाएं। दिल्ली सरकार के वकील ने आदेश दिखाया जहां पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया था। जस्टिस ओका ने कहा तो आपका हलफनामा कहता है कि केवल दिवाली के दौरान आप पटाखों पर प्रतिबंध लगाएंगे और शादी और चुनाव समारोहों के दौरान आप नहीं लगाएंगे।
कहा- कोई धर्म प्रदूषण बढ़ाने को प्रोत्साहन नहीं देता- SC On Delhi-NCR Air pollution, पटाखे जलाने पर शीर्ष न्यायालय की सुप्रीम टिप्पणी
Supreme Court Hearing On Delhi-NCR Air pollution: दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। सोमवार को भी वायु प्रदूषण पर सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) को फटकार लगाई है। साथ ही साथ पूछा है प्रतिबंध लगाने में इतनी देरी क्यों हुई है?
इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा है कि कोई धर्म प्रदूषण बढ़ाने को प्रोत्साहन नहीं देता है। अगर पटाखे (firecrackers) जलाए जाते हैं तो स्वच्छ हवा नहीं रहती, जो अनुच्छेद 21 यानी जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर 25 नवंबर तक निजी तौर पर यह हलफनामा देने का निर्देश देते कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध लागू करने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखा जाए। हम सभी एनसीआर राज्यों को निर्देश देते हैं कि वे हमारे सामने आएं और प्रदूषण को न्यूनतम रखने के लिए उनके द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में हमें सूचित करें।
SC ने पूछा, पटाखों पर बैन केवल दिवाली में ही क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस पर नाराजगी जताई। जस्टिस ओका ने कहा कि अपने हितधारकों को हमारे पास आने दें। अगर कोई अनुच्छेद 21 के तहत पटाखे जलाने के अधिकार का दावा कर रहा है, तो उन्हें हमारे पास आने दें। जस्टिस ओका ने कहा कि सिर्फ दिवाली तक ही सीमित क्यों? पहले से सचेत क्यों नहीं होते। केंद्र सरकार ने कहा कि दिल्ली सरकार दशहरे के ठीक दो दिन बाद 14 अक्टूबर को निर्देश जारी करती है. उससे पहले कुछ नहीं किया गया।
विशेष सेल बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस आयुक्त को पटाखों पर प्रतिबंध के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए विशेष सेल बनाने का निर्देश देते हैं। हमें आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार ने प्रतिबंध लगाने में 14 अक्टूबर तक की देरी क्यों की? संभव है कि यूजर्स को उससे पहले ही पटाखों का स्टॉक मिल गया होगा। अनुच्छेद 21 के तहत प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार है। प्रथम दृष्टया हमारा मानना है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी गतिविधि को बढ़ावा नहीं देता जो प्रदूषण को बढ़ावा देती हो या लोगों के स्वास्थ्य के साथ समझौता करती हो।
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NEWS SOURCE Credit : lalluram
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