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पटना बिहार : बिहार की सियासी घमासान के बीच विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी लालू यादव से मिलने पहुँचे।

रिपोर्ट – नाज आलम 

 

पटना बिहार : बिहार की राजनीति में इन दोनों लगातार हलचल का दौर जारी है। नीतीश कुमार के जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद कहा जा रहा है कि राजद और जदयू के बीच खटास की स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसी बीच विधानसभा स्पीकर अवध बिहारी चौधरी ने राबड़ी देवी आवास जाकर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की है। इस दौरान मंत्री तेज प्रताप यादव भी मौजूद रहे। इस मुलाकात को लेकर सियासी गलियारे में एक बार फिर सरगर्मी बढ़ गई है। कयास लगाए जा रहे हैं  कि इंडिया गठबंधन और खासकर महागठबंधन सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

बिहार विधानसभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने रविवार की दोपहर राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद  से मिलने उनके आवास पहुंचे। दस सर्कुलर रोड स्थित पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर दोनों के बीच मुलाकात हुई। बीते दिन भी कई विधायक लालू  से मुलाकात करने पहुंचे थे। राबड़ी आवास में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 1 जनवरी को जन्मदिन को लेकर तैयारियां चल रही है। हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष के वहां मिलने को राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधि मंत्री शमीम अहमद भी लालू यादव से मिलने पहुंचे थे। पूर्व मंत्री श्याम बिहारी प्रसाद भी आए थे। जानकार बताते हैं कि राज्य के बदलते सियासी दौर में इस मुलाकात के बड़े मायने हैं।

नीतीश कुमार ने कहा था हम दीवार में माथा फोड़ लेंगे, लल्लन सिंह ने बताया कैसे मनाया हमने। 

पिछले कुछ दिनों से जदयू और आरजेडी के बीच कटुता पनपने का दावा बीजेपी कर रही है। पार्टी लगातार आरोप लगा रही है कि ललन सिंह जेडीयू को आरजेडी में विलय करने वाले थे। उनकी तैयारी थी कि तेजस्वी यादव को  जल्द बिहार के सीएम बने। इस वजह से नीतीश कुमार उनसे नाराज थे। इस आरोप के बाद बिहार की राजनीति में खलबली मची है। ललन सिंह को जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटना पड़ा और नीतीश कुमार एक बार फिर जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। बीजेपी नेता सुशील मोदी ने आज भी दावा किया है कि नीतीश कुमार की कुर्सी खतरे में है। इस बीच विधानसभा स्पीकर की लालू यादव से मुलाकात को लेकर बिहार में राजनीतिक पारा हाई हो गया है।

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बिहार में राजनीतिक बदलाव के की प्रबल संभावना के पीछे कारण भी बताया जा रहा है। 2016 में शरद यादव को हटाकर नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ले ली थी। उसके बाद 2017 में उनकी पार्टी महागठबंधन से निकल गए। उन्होंने राजद और कांग्रेस के किनारा कर लिया और एक बार फिर से बीजेपी के साथ एनडीए में चले गए। आरोप लगाया कि तेजस्वी यादव समेत आरजेडी के नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और जेडीयू इस मुद्दे पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाती है।  लेकिन 2022 में एक बार फिर नीतीश कुमार ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया और उसी राजद के साथ मिलकर महागठबंधन सरकार बना ली जिसके नेताओं पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा रहे थे।

एक बार फिर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने से नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ जाने की अटकलें तेज हो गई हैं।  जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार के पास एनडीए में जाने के अलावा कोई चारा नहीं है।  उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा है कि नीतीश कुमार चाहें तो उनके लिए बीजेपी से पैरवी कर सकते हैं। यह अभी ध्यान देने की बात है कि नीतीश कुमार को जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए जाने के बाद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने अपना विदेश द्वारा रद्द कर दिया। इन हालातों में विधानसभा अध्यक्ष का सबसे ज्यादा विधायकों वाली पार्टी आरजेडी के मुखिया से मुलाकात सामान्य घटना नहीं है।

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