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उत्तर प्रदेश : सुप्रीम कोर्ट पहुँचा कावड़ यात्रा के रूट पर दुकानदारों के नाम का मामला, कल होगी सुनवाई।

रिपोर्ट / नाज आलम ( सोर्स एक्स प्लेटफ़ॉर्म ) 

 

यूपी सरकार ने आदेश दिया था कि कांवड़ रूट पर पड़ने वाले भोजनालय समेत अन्य सभी दुकानों के बाहर दुकानदारों के नामों को लिखा जाए। अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा गया है।

 

 

उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश में कांवड़ रूट पर पड़ने वाली दुकानों पर दुकानदारों के नाम लिखे जाने वाला मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट में याचिका दायर कर उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश को चुनौती दी गई है। कोर्ट सोमवार को इस मामले में सुनवाई करेगा। उल्लेखनीय है कि यूपी सरकार ने पिछले दिनों आदेश दिया था, जिसमें कांवड़ रूट पर पड़ने वाले भोजनालय समेत अन्य सभी दुकानों के बाहर दुकानदारों के नामों का लिखा जाना अनिवार्य कर दिया गया। इस फैसला का खुद बीजेपी के सहयोगी दलों ने विरोध किया है।

जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच सोमवार को इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिका को एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) नामक एनजीओ ने दायर किया है। सबसे पहले मुजफ्फरनगर, शामली और सहारनपुर जैसे जिलों में पुलिस प्रशासन ने दुकानदारों को निर्देश दिया था, जिसके बाद यूपी सरकार ने इस बाबत आदेश भी जारी किया। इसके बाद से ही विवाद शुरू हो गया।NDA में शामिल जेडीयू, आरएलडी जैसे दलों ने यूपी सरकार से ऑर्डर वापस लेने की मांग की है। वहीं, अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका गांधी आदि विपक्षी दलों के नेताओं ने भी आदेश का विरोध किया है।

‘बिना सोचे-समझे लिया गया आदेश’
इससे पहले आरएलडी के अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्‍य मंत्री जयंत चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ”ऐसा लगता है कि यह आदेश बिना सोचे-समझे लिया गया है और सरकार इस पर इसलिए अड़ी हुई है क्योंकि निर्णय हो चुका है। कभी-कभी सरकार में ऐसी चीजें हो जाती हैं।” यह पूछे जाने पर कि क्या निर्णय वापस लिया जाना चाहिए, उन्होंने कहा, ”अब भी समय है कि इसे (वापस) लिया जाए या सरकार को इसे (लागू करने) पर ज्यादा जोर नहीं देना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”कांवड़ की सेवा सभी करते हैं। कांवड़ की पहचान कोई नहीं करता और न ही कांवड़ सेवा करने वालों की पहचान धर्म या जाति से की जाती है।” सरकार के फैसले का विरोध करते हुए चौधरी ने कहा कि उप्र सरकार ने यह फैसला बहुत सोच समझकर नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि इस मामले को धर्म और जाति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री ने राज्य सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि सब अपनी दुकानों पर नाम लिख रहे हैं, ‘मैकडॉनल्ड’ और ‘बर्गर किंग’ क्या लिखेगा।

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